Rajniti Ke Sant: Pt. Deendayal Upadyay Ka Jivan Evam Darshan

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Description

Gulrej Sheikh | Category: BiographiesBook Details

ISBN: 9788192959863
YOP: 2015
Pages: 180

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पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित यह प्रकाशन एक प्रयास है, महान आत्मा के जीवन दर्शन को दर्शाने का ।
इस पुस्तक का उद्येश्य, पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के संग उनके सामाजिक एवं राजनैतिक विचार, जो की मानवता के सिद्धांतों से ओत-प्रोत हैं तथा बिरले ही राजनैतिक विचारकों से प्राप्त होते हैं, पर प्रकाश डालना है ।
इस पुस्तक के माध्यम से हमारा आशय प्रतिकूल सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों के चलते भी किस प्रकार से एक व्यक्ति न केवल स्वयं अपितु समाज निर्माण में भी अपना दायित्वा सकारात्मक रूप से पूर्ण कर सकता है पर भी प्रकाश डालना है ।
सामान्य परिवार में जन्म, बाल्यवस्था में माता-पिता का निधन, दरिद्रता एवं शिक्षा ग्रहण करने हेतु अमृदु पथ पंं. दीनदयाल उपाध्याय को पथभ्रष्ट करने में अक्षम रहे ।
बालकाल से, जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की यात्रा का प्रत्येक पड़ाव आधुनिक भारत के युवाओं हेतु मानवता, राष्ट्रवाद एवं व्यक्तित्व निर्माण का सर्वोच्च दर्शन है ।
जिस समय विश्व समाजवाद या पूंजीवाद के जटिल प्रश्न पर व्याकुल था, उस समय पं. दीनदयाल उपाध्याय ने विश्व को एकात्म मानवदर्शन का व्यवहारिक सिद्धांत प्रदान किया ।
आशा है, इस पुस्तक के माध्यम से हमारा सूक्ष्म प्रयास महान आत्मा का दर्शन प्रदान करने में कारगर सिद्ध हो ।

1- जन्म
2- संघर्षमय बचपन
3- साहसी, कष्टमय एवं मेधावी छात्र जीबन
4- प्रशासनिक सेवा परीक्षा मॅ कौशल प्रदर्शन
5- संघजीबन
6- जनसंघ का दीपक
7- ईश्वरीय सत्ता में विलीन हुआ ‘दीपक’

पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित यह प्रकाशन एक प्रयास है, महान आत्मा के जीवन दर्शन को दर्शाने का ।
इस पुस्तक का उद्येश्य, पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के संग उनके सामाजिक एवं राजनैतिक विचार, जो की मानवता के सिद्धांतों से ओत-प्रोत हैं तथा बिरले ही राजनैतिक विचारकों से प्राप्त होते हैं, पर प्रकाश डालना है ।
इस पुस्तक के माध्यम से हमारा आशय प्रतिकूल सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों के चलते भी किस प्रकार से एक व्यक्ति न केवल स्वयं अपितु समाज निर्माण में भी अपना दायित्वा सकारात्मक रूप से पूर्ण कर सकता है पर भी प्रकाश डालना है ।
सामान्य परिवार में जन्म, बाल्यवस्था में माता-पिता का निधन, दरिद्रता एवं शिक्षा ग्रहण करने हेतु अमृदु पथ पंं. दीनदयाल उपाध्याय को पथभ्रष्ट करने में अक्षम रहे ।
बालकाल से, जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की यात्रा का प्रत्येक पड़ाव आधुनिक भारत के युवाओं हेतु मानवता, राष्ट्रवाद एवं व्यक्तित्व निर्माण का सर्वोच्च दर्शन है ।
जिस समय विश्व समाजवाद या पूंजीवाद के जटिल प्रश्न पर व्याकुल था, उस समय पं. दीनदयाल उपाध्याय ने विश्व को एकात्म मानवदर्शन का व्यवहारिक सिद्धांत प्रदान किया ।
आशा है, इस पुस्तक के माध्यम से हमारा सूक्ष्म प्रयास महान आत्मा का दर्शन प्रदान करने में कारगर सिद्ध हो ।

1- जन्म
2- संघर्षमय बचपन
3- साहसी, कष्टमय एवं मेधावी छात्र जीबन
4- प्रशासनिक सेवा परीक्षा मॅ कौशल प्रदर्शन
5- संघजीबन
6- जनसंघ का दीपक
7- ईश्वरीय सत्ता में विलीन हुआ ‘दीपक’

Additional information
Weight 0.281 kg
Dimensions 21.6 × 13.9 × 1.2 cm
yop

2015

subject-category

Biographies

isbn

9788192959863

binding

Hardback

,

Paperback

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