Shivnarayan Khanna | Category: Fiction & Non-Fiction
Binding Type: Hard Binding
Book Details
ISBN: 9789386221797
YOP: 2018
Pages: 60
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नाटकीय कथोप कथन के माध्यम से बच्चो के लिए साग-सब्जियों के गुण, रंग-रूप, पाचन-शक्ति और उनके खाने से लाभ-हानि का मनोरंजक शिक्षाप्रद वर्णन ‘हुजूर ! मैं आपका नमक खाता हूँ’ पुस्तक में है | नाटक के माध्यम से विभिन्न साग-सब्जियों की उपयोगिता और उनके रंग-रूप में अंतर प्रस्तुत करते हुए पर्यावरण संबंधी जानकारी देना भी इस नाटक का लक्ष्य है | अकबर और बीरबल के स्टेज पर आने से नाटक में हास्य और व्यंग का समावेश तोह हुआ ही है साथ ही आज सर्वत्र फैली चापलूसी और चाटुकारिता भी उजाग़र हुई है | जिसे सामने देखा और जिससे अपना मतलब सधा उसकी चापलूसी और गुणगान कर मतलब निकलते ही उसकी बुराई और दोषारोपण आज आम बात है और यह शिक्षाप्रद नाटक उस ओर भी इंगित करता है | स्कूलों में अभिनय की दृष्टि से इस नाटक की विशिष्टता यह है कि एक साथ लगभग सौ बच्चे भाग ले सकते है क्योकि कुछ मुख्य पात्रो को छोड़कर बाकी सभी पात्र मात्र एकबार ही स्टेज पर आते है | दूसरी ओर कम बच्चे होने पर एक बच्चा ह अनेक रोल कर सकता है | इस पुस्तक की खुबी यह है कि इसमें सम्मिलित सभी चित्र के. आर. मंगलम वर्ल्ड स्कूल, इन्दिरापुरम की कक्षा-5 में पढ़ने वाली 10 वर्ष की बालिका कृति अरोड़ा ने बनाए है और वह भी मुद्रण से पूर्व केवल दो-तीन दिनों में | विश्वास है नाटक के माध्यम से शिक्षा और चित्रांकन के साथ साथ हास्य और व्यंग की सृष्टि में यह नाटक मील का पत्थर साबित होगा |
नाटकीय कथोप कथन के माध्यम से बच्चो के लिए साग-सब्जियों के गुण, रंग-रूप, पाचन-शक्ति और उनके खाने से लाभ-हानि का मनोरंजक शिक्षाप्रद वर्णन ‘हुजूर ! मैं आपका नमक खाता हूँ’ पुस्तक में है | नाटक के माध्यम से विभिन्न साग-सब्जियों की उपयोगिता और उनके रंग-रूप में अंतर प्रस्तुत करते हुए पर्यावरण संबंधी जानकारी देना भी इस नाटक का लक्ष्य है | अकबर और बीरबल के स्टेज पर आने से नाटक में हास्य और व्यंग का समावेश तोह हुआ ही है साथ ही आज सर्वत्र फैली चापलूसी और चाटुकारिता भी उजाग़र हुई है | जिसे सामने देखा और जिससे अपना मतलब सधा उसकी चापलूसी और गुणगान कर मतलब निकलते ही उसकी बुराई और दोषारोपण आज आम बात है और यह शिक्षाप्रद नाटक उस ओर भी इंगित करता है | स्कूलों में अभिनय की दृष्टि से इस नाटक की विशिष्टता यह है कि एक साथ लगभग सौ बच्चे भाग ले सकते है क्योकि कुछ मुख्य पात्रो को छोड़कर बाकी सभी पात्र मात्र एकबार ही स्टेज पर आते है | दूसरी ओर कम बच्चे होने पर एक बच्चा ह अनेक रोल कर सकता है | इस पुस्तक की खुबी यह है कि इसमें सम्मिलित सभी चित्र के. आर. मंगलम वर्ल्ड स्कूल, इन्दिरापुरम की कक्षा-5 में पढ़ने वाली 10 वर्ष की बालिका कृति अरोड़ा ने बनाए है और वह भी मुद्रण से पूर्व केवल दो-तीन दिनों में | विश्वास है नाटक के माध्यम से शिक्षा और चित्रांकन के साथ साथ हास्य और व्यंग की सृष्टि में यह नाटक मील का पत्थर साबित होगा |
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